प्रार्थना-ध्यान
प्रार्थना भी ध्यान का ही माध्यम है। आज का समय पहले से बहुत अलग है। कई साल पहले, बहुत सारे लोग काफी धार्मिक हुआ करते थे। लेकिन धीरे-धीरे यह संख्या बहुत कम होती जा रही है। और अब प्रार्थना का रूप भी बदलता जा रहा है। अब यह शिर्फ़ कुछ खास दिनों, बैयक्तिक-त्योहारों या मात्र नवरात्रों में ही अलग-अलग ढंग से अलग-अलग रूपों में किया जाता है। जबकि यह हमारे परम्परा का, हमारे दैनिक जीवन का कार्य हुआ करता था। अब अक्सर लोग ब्यक्तिगत पारिवारिक कार्यक्रमों, बैठकों, वार्षिक त्योहारों मात्र मेंं ही प्रार्थना करते हैं। पारिवारिक संबंधों को मजबूती देने के लिए साथ में बैठकर प्रार्थना-ध्यान करना सबसे अच्छा तरीका है ताकि आपसी बंधन मजबूत बना रहे। लेकिन यह प्रतिदिन होना चाहिए। यह निश्चित रूप से एक दूसरे के करीब होने का समय है, खासकर एक परिवार के रूप में। सबसे बढ़कर, प्रत्येक व्यक्ति के पास ईश्वर के लिए समय होना चाहिए। लोग समूह में भी ईश्वर की उपस्थिति और वास्तविक शांति का लाभ अवश्य प्राप्त कर सकते हैं, यदि वे सभी एक साथ शान्ति के विचार सोचते हों, चिंतन और मनन करते हों। पांच से दस मिनट तक जब आपका परिवार...