योग

योग का तात्पर्य हैः शरीर और मन की एकता और फिर मन और आत्मा की एकता। आधुनिक युग में तमाम तरह की शारीरक और मानसिक बीमारियों की भरमार है। जिसके दो प्रमुख कारण हैं: व्यायाम की कमी और अस्वास्थ्यकर आहार जो मधुमेह और मोटापे की ओर ले जाते हैं।
प्राणायाम के माध्यम से और योगासनों के अभ्यास से शरीर में लचीलापन, दिमाग में शांति और संतुलन लाया जा सकता है। कुछ सरल आसनों और कुछ प्राणायाम विधियों को अपनाने के लिए बुनियादी प्रशिक्षण यह है कि, पांच सरल बिंदुओं का पालन करने की आवश्यकता होती है: उचित श्वास; उचित व्यायाम; सही भोजन; सकारात्मक सोच और ध्यान व यथोचित विश्राम।
योग-ध्यान लोगों को कुछ ऐसा दे सकता है जो उन्हें किसी और माध्यम से नहीं मिल सकता। व्यक्तियों को स्वयं के विभिन्न स्तरों का परिचय इसी माध्यम से मिलता है। योग-ध्यान से विश्रांति, मन की शांति, बेहतर स्वास्थ्य, बेहतर जीवन, बेहतर रिश्ते, व्यक्तिगत अंतर्दृष्टि, आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि, दार्शनिक अंतर्दृष्टि और कल्याण की सच्ची भावना इत्यादि की प्राप्ति होती है।
वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि योग-ध्यान मस्कुलोस्केलेटल, तंत्रिकातन्त्र, अंतःस्रावी ग्रन्थियों और संचार प्रणालियों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है। योग मुद्राओं का उपयोग अपने आप मे एक विशेष आश्वासन है कि यह शरीर को आत्म चिकित्सा के द्वारा सदैव के लिए स्वस्थ रखेगा। फिटनेस गतिविधियों और उच्च प्रभाव वाले खेलों में प्रयासरत खिलाड़ियों को भी योग-ध्यान शारीरक लचीलापन, संतुलन और शक्ति के निर्माण मे मदद कर सकता है। योग-ध्यान तनाव को कम करता है और प्रतिरक्षा को बढ़ाता है, जो हमेशा सबसे पुरानी बीमारियों जैसे कैंसर और हृदय रोगों के कारण बनते रहे हैं। हममें से हर एक योग-ध्यान के अभ्यास से होने वाले लाभ का आनंद उठा सकता है।
हठ योग भी ध्यान की ही एक संरचना है। प्रत्येक आसन, प्रत्येक प्राणायाम के अभ्यास विधि को ध्यान के रूप में ही माना जाता है। इनसे शरीर, मन और आत्मा को शांति मिलती है। लगभग एक घंटे तक इनका अभ्यास करने से लोगों को कई घंटों के लिए अधिक आराम का अनुभव होता है।
अभ्यास के विभिन्न रूपों की तुलना में आसन पूरी तरह से अलग हैं। ये आम तौर पर तेज गति से और तनाव के साथ किये जाते हैं। व्यायाम शरीर की सतह पर श्वास, अपशिष्ट ऊर्जा को और परिसंचरण तन्त्र को गति प्रदान करते हैं। ये शरीर के मांसपेशियों के हिस्सों को विकसित करते हैं। इसका मतलब यह है कि योग-ध्यान से उत्पन्न जीवनी-शक्ति आंतरिक नसों और ग्रंथियों के साथ-साथ मांसपेशियों को भी बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करती है।

योग शिक्षण के संस्थापक श्री पतंजलि ऋषि के अनुसार, शाब्दिक अर्थ में योगासन एक ऐसा आसनविधि है जो आराम और दृढ़ता लाता है। तो, आसन का अभ्यास अत्यधिक आराम और आसानी से किया जाना चाहिए।

नेति नामक योग की सफाई विधि एक अत्यंत शक्तिशाली और सरल तकनीक है। जो एलर्जी मे, कई अस्थमा के मामलों मे और पुरानी साइनसिसिस के लिए अद्भुत काम करती है, बस जरूरत है एक विशेषज्ञ के साथ सीखने की। प्राकृतिक रूप से साइनस के इलाज के लिए नेति सबसे अच्छी विधि है।
योग-ध्यान अपनाइए और स्वस्थ हो जाइए।

जो लोग धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं उनके लिए भी नेति उत्कृष्ट है। ऐसा इसलिए है क्योंकि धुम्रपान की वजह से मुंह के माध्यम से सांस लेने की प्रवृत्ति कम हो जाती है। यहां नेति द्वारा नाक को फिर से संवेदीकृत किया जाता है, इस प्रकार यह ब्यक्ति के मस्तिष्क को मनोवैज्ञानिक रूप से बुरी लत से दूर करता है। इस प्रकार हम पाते हैं कि योग-ध्यान एक महान सोच और स्वस्थ शरीर को प्राप्त करने के लिए वास्तव में बहुत ही सहायक है।

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