सरल ध्यान

सरल ध्यान
एक ऐसा स्थान चुनिए जहां शांति हो, और जहां आपको किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो। जहां बैठकर आप दस से बीस मिनट तक अविचलित ध्यान कर सकें। सभी टेलीफोन, मोबाइल आदि और अन्य सबकुछ बंद कर दीजिए, जो चीजें आपको विचलित कर सकती हैं।
अब, आराम से और चुपचाप बैठिए। अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधे रखिए। याद रखें कि, यह आसन कुछ ऐसा है जिसे आपको करने की आवश्यकता है।
अभी आप जो कर रहे हैं, उसके लिए प्रतिबद्ध होने की जरूरत है, इसका मतलब है कि अब एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए आप तैयार हैं, और इस दौरान व्याकुलता को दखल देने की अनुमति नहीं होगी। अपने आस-पास की दुनिया में होने वाली किसी भी हलचल से बाधित नहीं होने के लिए प्रतिबद्ध हों। सबसे महत्वपूर्ण बात, इस जगह से ऐसा सबकुछ हटा दें जो एक संभावित विकर्षण का कारण बन सकते हों। ध्यान करने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध और सँकल्पित हों।
एक शब्द का चयन करें जो आपके स्वाभाविक विश्वास के अनुकूल हो। उदाहरण के लिए, "प्रेम" "शांति",  "ऊँ" या "राम" अथवा अन्य जो भी आपके लिए आसान लगे। सही शब्द का चयन करने के बाद अपनी आँखें बंद करें। अपनी आँखें बंद करने से आपको ध्यान में प्रवेश करने में मदद मिलती है।
अब, शरीर के सभी अँगों का ध्यान करते हुए आगे बढ़ना है, और इसमें मौजूद प्रत्येक मांसपेशियों को आराम की अनुमति देनी है। अपने पैरों की उंगलियों से शुरू करें। मन मे ही अपने पैर की उँगलियों को आराम करने की अनुमति दें। आगे एड़ियों को, फिर एड़ी से ऊपर और घुटने के बीच वाले हिस्से को, फिर जाँघों को, फिर पुट्ठों को, फिर कमर, पेट, पीठ, छाती, पखुरोँ को, दोनों बाहों को, गर्दन को, मुख, जबडों को, नाकों को, आँखों को, ललाट को और अन्त मे सिर को क्रमशः आराम करने की अनुमति देते हुए आगे बढ़ें। और इस तरह आप अपनी प्रत्येक मांसपेशियों को आराम करने की अनुमति देँ। और महसूस करें कि आपका सम्पूर्ण शरीर तनावमुक्त होता जा रहा है।
गहरी, लंबी सांस लेते रहें और बीच-बीच मे मन ही मन अपने द्वारा चुने हुए शब्द को दोहराएं। साँस लें, अपना शब्द कहें, साँस छोड़ें और फिर दोहराएं। आपको शब्द को ज़ोर से कहने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि इसे मानसिक रूप से ही सोचना है।
सर्बथा निष्क्रिय रवैये का उपयोग करें। यदि इस दौरान कोई भी विचार आपके दिमाग में आता है, उन्हें केवल अन्दर आने दें और फिर बाहर जाने दें। ज्यादातर लोगों को इससे परेशानी होगी, परन्तु इसे होने दें। आप इस बात की चिंता न करें बल्कि बस अपने ध्यान शब्द को दोहराते रहें।
इसे कम से कम दस मिनट तक करते रहें और बाद मे एक-एक मिनट बढ़ाते हुए बीस या तीस मिनट तक के अभ्यास का प्रयास करें।
ध्यान से बाहर आने के बाद कई मिनट तक बैठें और आराम करें। आँखों को खोलने से पहले कुछ मिनट के लिए उन्हें बंद ही रखें। अभी खड़े न हों बल्कि ऐसा करने से पहले खुद को वास्तविक स्थिति में वापस आने का समय दें।
फिर अपने दोनों हथेलियों को आपस मे रगड़कर आँखों को सहलाते हुए धीरे से खोलें।
आपको यह सरल ध्यान दिन में कम से कम एक बार करने की कोशिश तो करनी ही चाहिए। हलांकि यदि प्रति दिन दो या तीन बार किया जाय तो बहुत कम दिनों मे ही आपके दैनिक तनावों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। और इस तरह बहुत से लोग पाते हैं कि यह सरल ध्यान उनके दिन की शुरुआत करने से पहले बहुत अच्छी तरह से काम करता है। वे पूरी तरह से खुशी एवं आराम  महसूस करते हैं।
इस तरह के सरल ध्यान को हर कोई अपने दैनिक जीवनशैली मे शामिल कर सकता है, यह सदैव लाभकारी ही सिद्ध होगा।

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