अनियंत्रित मन
अनियंत्रित मन के साथ आप जिस तरह से व्यवहार करते हैं और सोचते हैं, उस समय स्थितियों पर आपका नियंत्रण स्वभावत: कम हो जाता है।
न केवल आपके विचार एक चीज़ से अगली चीज़ पर जल्दी से जाते हैं, बल्कि आपका भौतिक शरीर भी यही काम कर रहा होता है।
आपकी भावनाएं भी इन्हीं गतिविधियों का अनुसरण कर रही होती हैं।
इस तरह की मस्तिष्कीय गतिविधि का एक उदाहरण एक बच्चे को खेलते हुए देखना, समझने में सरल हो सकता है।
यदि आप वाहन चलाते समय एक खेलते हुए बच्चे को देखते हैं, तो आपका दिमाग वाहन के नियंत्रण से बच्चे के पास चला जाता है।
वह प्यारा है, खेल रहा है और अपनी बाइक की सवारी कर रहा है।
फिर, एकाएक आपका मन अपने खुद के बचपन के विचारों की ओर बढ़ता है, आप अच्छा महसूस करने लगते हैं और सुखद यादों पर मुस्कुराते हैं।
बेशक, यह हमेशा इतनी मासूमियत से नहीं खेलता।
आप नकारात्मक छवियों के साथ ऐसे तमाम तरह के समान विचारों और भावनात्मक प्रक्रियाओं से भी गुजर सकते हैं।
विचार करें कि क्या वह बच्चा एक किशोर था? कुछ ऐसा कर रहा था, जो उसे नहीं करना चाहिए?
अब, आप अपने खुद के बच्चों के बारे में भी सोच रहे हो सकते हैं, वे क्या कर रहे होंगे?जिसके बारे में आप नहीं जानते हैं।
और, चूंकि आपकी भावनाएँ आपके विचारों का भी अनुसरण करती हैं जो भयभीत और तनावपूर्ण स्थिति का भी दर्शन करा सकती हैं।
एक नकारात्मक स्थिति में, आप अपने दिमाग के माध्यम से खेलने वाले विचारों से विचलित होने की संभावना रखते हैं!
जो तब सीधे आपके वाहन को चलाने के तरीके को प्रभावित करता है। शायद आप एक लाल बत्ती को पार कर जाँए? या, आप किसी अन्य वाहन से टकरा जाँए!
जैसा कि आप समझ सकते हैं, कि, ऐसी असामान्य अवस्था में, आपकी भावनाएँ और साथ ही आपके भौतिक अस्तित्व भी दांव पर हैं।
इन घटनाओं के परिणाम में प्रत्येक अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैँ।
अक्सर, इन प्रक्रियाओँ के दौरान तनाव का निर्माण होता है और चूंकि यह हमारे मन की "सामान्य" स्थिति ही है, इसलिए इस तरह के उथल पुथल वाली स्थितियाँ आती जाती रहती हैं।
ऐसे समय में आप अपने आप को किसी भी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ पा सकते हैं।
और समय के साथ आपको अपने रोजमर्रा के जीवन में जो कुछ भी करना है उसे संतुलित तौर पर करने में परेशानी हो सकती है।
अधिकांश भाग के लिए, आपका "सामान्य" सोचने का तरीका सबसे खराब चीजों में से एक हो सकता है जो आप अपने लिए कर रहे होते हैं।
इसीलिए ध्यान का अभ्यास जीवन के नित्य कर्म का हिस्सा बनाना जरूरी है। जो हम सब को इन्हीं तमाम अनपेक्षित घटनाओं से बचने के लिए लगातार चैतन्य बनाये रखता है।
और इस तरह ध्यानाभ्यास के द्ववारा हम सब सजगता से जीवन जीना सीख सकते हैं। ...
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